जीवन में सफलता पाने के लिए क्या करना चाहिए
जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए क्या आवश्यक है, क्या चाहते हैं आप अपने जीवन में सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचें? जीवन में सफलता पाने के लिए क्या करना चाहिए, क्या आप चाहते हैं कि आपके सपने और लक्ष्य बिना किसी रुकावट के पूरे हों? हाँ, सफलता के रास्ते पर चलना सरल नहीं होता, लेकिन यह संभव है। इस न्यूज़ Motivational Story, ब्लॉग में हम Life Changing Experiences, आपको उन आवश्यक गुणों और कदमों के बारे में बताएंगे जो आपको जीवन में सफलता प्राप्त करने में मदद करेंगे।
जीवन में सफलता पाने के लिए क्या करना चाहिए, हम यहाँ आपके साथ जीवन के उन अनुभवों को साझा करेंगे, जो हमें मजबूत बनाते हैं, और जो हमें उच्चायों की ओर आगे बढ़ाने की प्रेरणा प्रदान करते हैं। जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए क्या आवश्यक है, इसमें मोटिवेशनल कहानियों, सफल व्यक्तियों के अनुभव, और जीवन के महत्वपूर्ण सिख समाहित होंगे।
Life Changing Experiences
जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए क्या आवश्यक है, जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए हमें न केवल सपनों को देखने की आवश्यकता है, बल्कि उन्हें हासिल करने के लिए प्रतिबद्धता और कठिन परिश्रम भी करना चाहिए। Life Changing Experiences, यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है जो हमें उन ऊँचाइयों तक पहुँचाती है जो हम अपने जीवन में चाहते हैं।
जीवन में सफलता पाने के लिए क्या करना चाहिए, आइए साथ में जानें कि सफलता प्राप्त करने के लिए कैसे अपने अंदर के शक्ति को पहचाना जा सकता है, कैसे मुश्किलों का मुकाबला करें, और कैसे स्वयं को सर्वोत्तम बनाने के लिए कठिन परिश्रम की आवश्यकता होती है।
Motivational Story
अच्छे समय से ज्यादा अच्छे इंसान से रिश्ता रखिए क्योंकि अच्छा इंसान अच्छा समय ला सकता है लेकिन याद रखना अच्छा समय कभी अच्छा इंसान वापस नहीं ला सकता। भगवान गौतम बुद्ध की और उनके शिष्य की भगवान गौतम बुद्ध के मठ में नियम था।
उनका कोई शिष्य बुद्धत्व को प्राप्त हो जाता था तो उससे कहते थे की एक दिशा में चले जाओ और उस दिशा में जा करके वो जगह बताते थे वहाँ जाओ, जाकर के रहो और आसपास के लोगों का ज्ञान वर्धन करो। उनकी जो आत्मा है उसको जागृत करो, उनकी चेतना को जागृत करो, प्रयास करो, उन्हें सद्मार्ग पर लाने का,
उनका एक शिष्य था जो छे 8 साल से वहाँ मठ में रह रहा था, तपस्या कर रहा था और 1 दिन वो परेशान हो गया की मेरे गुरुदेव ने मुझे अब तक आदेश क्यों नहीं दिया की जा कर के प्रवचन करो। यहाँ से चले जाओ अपना खुद का जो आश्रम बनाओ इसी बात पर नाराज हो करके वो भगवान गौतम बुद्ध के पास गया और जा करके कहने लगा की गुरुदेव मेरी तपस्या में ऐसी क्या कमी रह गई? क्या मैंने ज्ञान अर्जित नहीं किया कि अब तक आपने मुझे आदेश नहीं दिया कि जाओ जा करके दूसरी जगह पर जाकर ज्ञान बांटो क्या? मैंने ज्ञान अर्जित नहीं किया? क्या मैंने बुद्धत्व प्राप्त नहीं किया?
गौतम बुद्ध ने उससे कहा की सुनो तुम्हे थोड़ा और समय लगेगा। यही समय बिताओ तो चिढ़ गया। कहने लगा गुरुदेव मतलब आपके ज्ञान में कमी रहेंगी। आप मुझे ज्ञान ही नहीं दे पाए। भगवान गौतम खुद को लग गया कि ये समझेगा नहीं, इसलिए गौतम बुद्ध ने कहा ठीक है, कल सुबह पूर्व दिशा में गांव है वहाँ जाना और वहाँ से भिक्षा ले करके वापस आना, पूरा दिन वहीं बिताना और कोशिश करना वहाँ के लोगों को थोड़ा ज्ञान बांटने की और मुझे आ करके बताना कि अनुभव कैसा रहा?
वो शिष्य बड़ा खुश हुआ उसकोला की बस अब तो बात बन गई, अब तो मुझे आदेश मिल गया। वो गया सुबह सुबह उस गांव में भिक्षा माँगने के लिए पूर्व दिशा में शाम में जब आया तो पट्टी बंधी हुई थी, हाथ पैर पर चोट के निशान थे। भगवान गौतम ने गए क्या हाल बना लिया तो गौतम बुद्ध ने उसको मल्हम किया, दवाई दी तो उसने बताया कि आपने कैसे गांव में मुझे भेज दिया वहाँ पर जब मैंने भिक्षा मांगी तो लोग मुझे गालियां देने लगे। भगाने लगे। डांटने लगे।
एक व्यक्ति ने बस मुझे वहाँ पर भिक्षा दी और उसने भी जमीन पर फेंक करके भिक्षा दी और कहा कि ले जाओ इसको, इतने बुरे गांव में जहाँ लोग अज्ञानी है, उनके पास आपने मुझे भेज दिया कि ज्ञान बांटो, आप मुझे कल किसी और गांव में भेजना, मैं जाकर के ज्ञान वहाँ दे करके आता हूँ। भगवान गौतम बुद्ध मुस्कुराया, उन्हें तो पता था कि ये कुछ कर नहीं पाएगा। अगले दिन उससे कहा कि ठीक है तुम कहीं और चले जाना, लेकिन 1 दिन के बाद जाना 1 दिन और आश्रम में मठ में रुके रहो।
अबकी बार उन्होंने अपने किसी दूसरे शिष्य को इस गांव में भेजा जहाँ इसको भेजा था और शाम में जब वो शिष्य आया तो उसकी भी वही हालत थी, उसकी भी जो है खस्ता हालत थी, हाथ पैर में चोट लगी हुई थी। भगवान गौतम बुद्ध ने पहले वाले शशि के सामने दूसरे से पूछा कि हुआ क्या? तो उसने कहा, प्रभु आपने जीस गांव में मुझे भेजा। वहाँ के लोग बड़े भोले भाले भिक्षादेही नहीं रहे थे। एक व्यक्ति ने मुझे जमीन पर फेंक करके भिक्षा दी।
मैंने स्वीकार कर ली और उसे आशीर्वाद दिया कि तुम्हारा कल्याण तो चौंगे और मुझसे कहने लगा कि आप गजब इंसान हैं, आपको मैं जमीन पर फेंक करके भिक्षा दे रहा हूँ और आप मुझे कल्याण हो का आशीर्वाद दे रहे हैं तो मैंने उससे कहा कि मैं तो अपना कर्तव्य निभाऊंगा, आप भी बड़े दानी हैं। आपने कम से कम मुझे दान तो दिया तो मेरा फर्ज बनता है की मैं आपको आशीर्वाद दू कल्याण हो आपका ऐसा कहने का उसके बाद जब मैं वहाँ से निकल रहा था तो मैंने देखा की एक बच्चा उस गांव में बीमार था।
मैं जंगल में गया और वहाँ से जड़ी बूटी लाने के लिए जब मैं आ रहा था तो जंगल के लोगों ने मुझे कबीले वालो ने पकड़ लिया और केरला के जड़ी बूटी कहाँ ले जा रहे हो? मैंने उनसे निवेदन किया, विनती की की मुझे छोड़ दो, एक छोटे बच्चे की मदद करनी है, उसके लिए दवाई ले जा रहा हूँ। तब जाकर उन्होंने मुझे आने दिया।
जब मैं गांव में आकर के उस बच्चे की मल्हम पट्टी कर रहा था तो गांव वाले मुझ पर हमला करने लगे। तब उस एकमात्र दानी व्यक्ति ने जिसने मुझे जमीन पर फेंक करके भिक्षा दी थी, उसने गांव वालों को रोका और कहा कि ये ठीक व्यक्ति है इसको काम करने दो, जब मैंने जड़ी बूटी लगाई तो बच्चा ठीक हो गया। पूरे गांव वाले जो है मेरे लिए तालियां बजने लगे और कहने लगे की कल फिर आइएगा गुरुदेव मुझे कल फिर उसी गांव में भेजेगा। बड़े भोले भाले लोग हैं, समझते नहीं हैं बस प्यार बहुत है, अब की बार प्रयास करूँगा थोड़ा और प्यार उन तक पहुँचाने का थोड़ा और ज्ञान उन तक पहुंचाने का वो ज्ञानी तो है लेकिन बस अनजान व्यक्ति से बात करने में डरते हैं।
वो जो पहला शिष्य था, जो 1 दिन पहले ही उस गांव में गया था वो सुन रहा था और समझ रहा था भगवान गौतम बुद्ध के चरणों में गिर गया। कहने लगा गुरुदेव कमी मुझ में ही थी। आपने ज्ञान तो बहुत सारा दिया लेकिन मैं आचरण में नहीं ढाल पाया। अपने अहंकार को ऊपर रखा और उसी गांव के लोगों को पहचान नहीं पाया। वहाँ से मार खाकर चला आया मार तो इन्होंने भी खाई लेकिन इनका अहंकार मिट चुका है और ये समझ चूके हैं कि लोग भोले भाले हैं। हमें उनसे अलग तरीके से व्यवहार करना होगा। अपने ज्ञान को आचरण में ढाल करके पहुंचाना होगा।
अच्छा इंसान बनने पर ध्यान दीजिये, अच्छा समय अपने आप चला आएगा, हम अच्छा समय लाना चाहते हैं लेकिन अच्छा इंसान नहीं बनना चाहते। सारी कमी सारी गड़बड़ बस यही हो जाती हैं।
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